Sunday, December 25, 2022

Dark vs Light

 *अंधकार बनाम प्रकाश* 

   🌹 सन्देश मानवता का🌹👌


फुर्सत के लम्हों में एक छोटा सा प्रयास और पैग़ाम है फुर्सत में पढ़ लेंगे तो हमारा सौभाग्य है, कुछ क्रिया या प्रतिक्रिया जाहिर कर देंगे तो हमारे लिए शिक्षा व प्रेरणा होगी* ---


 *किसी वजह से या दुर्भाग्यवश ज्ञान न होना कोई अपराध नहीं है मगर अधूरा ,भ्रमपूर्ण और गलत ज्ञान होना हितकारी भी नहीं है*,

इस पर अमल करना और कराना वैसा ही है जैसे किसी बीमारी का इलाज ऐसे व्यक्ति से कराया जाए जिसके पास किसी भी चिकित्सा पद्धति का ज्ञान ही नहीं है।

बीमारी शारीरिक हो या मानसिक सही इलाज वही कर सकता है जो उस मामले का विशेषज्ञ है। कहने का मतलब यह है कि किसी भी मामले में भ्रम की स्थिति नहीं होनी चाहिए और न ही किसी को भ्रमित करना चाहिए ,इससे नुकसान आम समाज को होता है। 

आत्म मंथन ,आत्म ज्ञान या आत्म चिंतन आपका विशेष गुण है जो आपके आत्मीय गुणों का विकास करता है,यह नकारात्मक सोच का नाश करता है यदि सकारात्मक दिशा में प्रयास किया जाए।


दोस्तों इसी कड़ी में अब बात की जाए उन पहलुओं पर जहां हमारी अज्ञानता,भ्रम और गलत आचरण ने खूबसूरत इंसानी समाज में *नासूर* पैदा कर दिया जो हरे भरे समाज को *दूषित* करता जा रहा है ,कहीं न कहीं वजह ये है कि हम *कुदरत* को भूल कर *इंसान* को *ईश्वर* या *ख़ुदा* मान बैठे और उन्हीं को सर्व *शक्तिमान* मान कर उन्हीं की इबादत करने लगे,क़ुदरत की *नियामत* का मनमाने ढंग से इस्तेमाल करने लगे, उसके पाक साफ सन्देशों की आड़ लेकर इंसान लोगों अपने नाजायज़ स्वार्थ के लिए बेवकूफ बनाने लगा हद यहां तक कि कुछ पाखंडी इस युग में खुद को अवतार बताने लगे और लोग मायाजाल में आकर उन पर यक़ीदा भी रखने लगे। *खामियाजा* आज पूरी दुनिया देख रही है, हो सकता है कि *क़ुदरत* ने सिर्फ हल्का सा *झरोखा* ही दिखाया हो ये भी देखा गया कि इस दौरान इंसान थोड़ा जागा और सब कुछ भूल कर इंसानियत की तरफ दौड़ा लेकिन पल भर के लिए आज फिर वह गुमराह होता हुआ नज़र आ रहा है। इंसानियत का बादल फिर धूमिल होता दिख रहा है, मोहब्बत के चमन में फिर कुछ अराजक लोगों द्वारा आग लगाने की कोशिश की जा रही है फिर भी अज्ञानता के अंधकार में प्रकाश नज़र आ रहा है।


दोस्तों क़ुदरत की कुव्वत पर यक़ीन करके कहा जा सकता है कि क़ुदरत जब और रूठेगा तो क्या आलम होगा । मंज़र तो बहुत भयानक भी हो सकता है  भूख और प्यास से तड़पने की नौबत भी आ सकती है सोचिए उस वक़्त इंसान के दिमाग में क्या नफरत, मतभेद, राजनीति, कूटनीति, अपना पराया ,पाखण्ड, आडम्बर जैसे तमाम खयाल आएंगे ?


दोस्तों कहने का मतलब ये है क़ुदरत के प्रति सच्ची आस्था रखनी चाहिए आप चाहे जिस ग्रन्थ या मजहब को मानें सच्ची आस्था तभी होगी जब सही ज्ञान होगा ये तब सम्भव है जब मूल ग्रंथ या ग्रन्थों औऱ किताबों की तरफ रुख किया जाए जो आदि से लेकर अब तक हैं। माना कि उनका सबके पास उपलब्ध होना मुश्किल है या उपलब्ध भी है तो किसी वजह से अध्धयन करना मुश्किल है तो ऐसी स्थिति में उससे सम्बंधित ऐसे विशेषज्ञ, आचार्य, उलेमा या प्रवक्ताओं से मदद ली जा सकती है जो उन ग्रन्थों के हवाले से हमारे मन मस्तिष्क में रोशनी डाल सकें।


किसी भी मजहब या ग्रन्थ का मूल सन्देश एक ही है -

 *ईश्वर, ख़ुदा या God*  *उसकी दुआ या प्रार्थना को स्वीकार करता है जो उसके बनाये गये नियमों का दुनिया में ईमानदारी से पूर्णतया पालन करता है और ऐसा संदेश दुनिया में देता है* ।


 *दुनिया कुदरत की खूबसूरत रचना है दुनिया में सबसे उत्तम इन्सान और इंसान की सबसे बड़ी खूबसूरती इंसानियत की बात सभी धर्म ग्रन्थों में है।* 


 *दोस्तों भ्रामक व कूटरचित वीडियो,पुस्तकें, दूषित प्रचार व सन्देश, तंत्र मंत्र,जादू टोना, वशीकरण नाश विनाश आदि अपने निजी स्वार्थ व नापाक इरादों के लिए दुष्प्रचार अराजक व नास्तिक तत्वों द्वारा जानबूझकर साजिश मात्र है कोई भी मजहब या धार्मिक पुस्तक या ग्रंथ इसकी इजाज़त नहीं देता और न ही महापुरुषों, पैगम्बरों या दूतों द्वारा ऐसा सन्देश दिया गया है।* । *सभी का सिर्फ एक ही सन्देश है मानव कल्याण* *मानवता और खूबसूरत संसार* वो सब कुछ देखता है उसे कुछ बताने की ज़रूरत नहीं है सारे फैसले उसी के हाथ में है इंसान के लिए ज़रूरी है उसकी इबादत करना ,उसके नियमों का सही से पालन करना और दुनिया में इन्सानी फर्ज़ निभाना ।


दोस्तों मेरे इस नज़रिए को इस नज़र से खारिज़ न करना कि हम गलत हैं ,बेकार हैं नाकाम हैं बेशक आप मुझमें खामियां तलाशिये हम आपके तहे दिल शुक्र गुजार होंगे इससे हमें और भी सीख मिलेगी जो फायदेमंद होगा इसलिए गुजारिश है मेरी कमियों की सजा मेरी ✍️ कलम को न देना।

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#Arshad Ali Khan Advocate Sultanpur


 

एक दूजे के लिए